आवाज विदर्भ नागपुर चैंनल दलित आदिवासियों पर होनेवाले अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए शुरू किया है दबे कुचले समाज को सम्मान से जीने के लिए ,सामाजिक आर्थिक,शैक्षणिक अधिकार की लड़ाई लड़ेंगे।किसी भी धर्म या जाति के खिलाफ हमारी लड़ाई नही।केवल अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे...हमारे चैंनल को सपोर्ट करें, सब्सक्राइब अवश्य करें ं।

आवाज विदर्भ नागपुर चैंनल दलित आदिवासियों पर होनेवाले अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए शुरू किया है दबे कुचले समाज को सम्मान से जीने के लिए ,सामाजिक आर्थिक,शैक्षणिक अधिकार की लड़ाई लड़ेंगे।किसी भी धर्म या जाति के खिलाफ हमारी लड़ाई नही।केवल अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे...हमारे चैंनल को सपोर्ट करें, सब्सक्राइब अवश्य करें

महिला वोटर बिगाड़ सकती हैं राजस्‍थान विधानसभा चुनाव का सियासी खेल, उन्‍हें नहीं पसंद ऐसे चेहरे

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Rajasthan Election Survey: राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) को लेकर एक बड़ा सर्वेक्षण हुआ है. इसमें राजस्थान की सभी 200 सीटों के लोगों से सवाल-जवाब किए गए.यह सर्वे हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ ने किया है. इसमें शामिल 45 फीसदी गृहणियों और 41 फीसदी किसानों ने कहा है कि वो अपने मौजूदा विधायक को दोबारा वोट देंगे. वहीं जब उनसे यह पूछा गया कि वो किस आधार पर वोट करेंगे तो 52 फीसदी पुरुषों और 58 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वो प्रत्याशी के आधार पर मतदान करेंगे. पिछली बार 41 फीसदी पुरुषों और 50 फीसदी महिलाओं ने प्रत्याशी के नाम पर वोट किया था. आइए विस्तार से जानते हैं कि इस सर्वेक्षण के नतीजे क्या रहे.

 सर्वे में शामिल लोगों की राय क्या निकल कर सामने आई.

  • लोगों से पूछा गया कि अगर उनकी पसंदीदा पार्टी ने किसी दागी को टिकट दिया तो किसे वोट देंगे. इस सवाल के जवाब में 33 फीसदी किसानों ने कहा कि वो पार्टी को ही वोट करेंगे.वहीं 59 फीसदी सरकारी नौकरी वालों ने कहा कि वो प्रत्याशी देखकर वोट करेंगे.वहीं 46 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि वो प्रत्याशी देखकर वोट करेंगे तो 44 फीसदी ने कहा कि वो पार्टी देखकर वोट करेंगे.
  • मौजूदा विधायक के कामकाज से खुश होकर एससी वर्ग के 37 फीसदी मतदाता उसे वोट करेंगे. वहीं ओबीसी के 57 फीसदी मतदाता उसी पार्टी को वोट देंगे जिसे पिछली बार दिया था. ऐसा करने वाले सामान्य वर्ग को लोगों की संख्या भी 57 फीसदी है.
  • प्रत्याशी पसंद न आने पर सामान्य वर्ग के 27, एससी वर्ग के 26, ओबीसी के 22 और 20 फीसदी एसटी वर्ग के मतदाता नोटा को वोट करेंगे.
  • स्नातक तक की पढाई करने वाले 52 फीसदी लोग इस बार नया उम्मीदवार चाहते हैं.   वहीं कम पढे-लिखे 53 फीसदी लोगों को अनुभवी और 38 फीसदी को युवा प्रत्याशी चाहिए.
  • स्नातक तक की पढ़ाई करने वाले 47 फीसदी लोग युवा और 43 फीसदी लोगों को अनुभवी प्रत्याशी चाहिए.
  • 10वीं तक की पढ़ाई करने वाले 43 फीसदी लोगों और स्नातक और उससे अधिक की पढ़ाई करने वाले 52 फीसदी लोगों को नया प्रत्याशी चाहिए. 
  • 10 वीं तक पढ़े 48 फीसदी लोग  पार्टी, स्नातक या उससे अधिक पढ़े 56 फीसदी लोग प्रत्याशी देखकर वोट करेंगे. 
  • 10वीं पास 64 फीसदी लोग और स्नातक तक पढ़े 54 फीसदी लोग इस बार भी उसी पार्टी को वोट देंगे, जिसे पिछली बार दिया था. वहीं 63 फीसदी पम पढ़े-लिखे और 51 फीसदी ग्रेजुएट प्रत्याशी नापसंद होने के बाद भी अपनी पसंद की पार्टी के साथ हैं.
  • दागी प्रत्याशी की स्थिति में 10वीं तक पढ़े लिखे 34 फीसदी लोग अपनी पसंदीदा पार्टी को ही वोट देंगे. स्नातक से ज्यादा पढ़े लिखे केवल 17 फीसदी लोग ही अपनी पार्टी के साथ रहेंगे. वहीं 36 फीसदी लोग दूसरी पार्टी को वोट देंगे.

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